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शनि का तैलाभिषेक – दुर्भाग्य को आमंत्रण



कल शनैश्चरी अमावस्या (रात्रि २१:२६ बजे तक) हैं. शनिदेव का विशेष दिन. चूंकि, कल ही विशेष प्रभावशाली ग्रहीय संयोजन ‘सर्वार्थसिद्धि योग’ भी हैं, इसलिए यह दिन पुण्य कार्यों के संपादन के लिए अति महत्त्वपूर्ण हो गया हैं.
इस अवसर पर आस्ट्रो वास्तु, नॉएडा एवं Astro Devam के मानद संरक्षक, आचार्य कल्कि कृष्ण ने अपने गहन शोध के आधार पर बताया कि तथाकथित शनि मूर्तियों पर तेल डालने की प्रथा, जिसे ‘तैलाभिषेक’ कहते हैं, से जीवन में किसी लाभ के बजाय हानि ही होती हैं.
उन्होंने यह भी बताया कि इस निंदनीय प्रथा का वर्णन किसी भी शास्त्र या ग्रन्थ में नहीं हैं. सभी ज्योतिष ग्रंथों का स्पष्ट निर्देश हैं कि अपनी कुण्डली में शनिदेव के दुष्प्रभावों को समाप्त करने के लिए वृद्ध एवं विकलांगों को शनि सम्बंधित वस्तुएं जैसे कि कोई तेल , खाद्य, खनिज व पेट्रोलियम; लौह वस्तुएं एवं काले रंग की अन्य वस्तुओं का दान करे.
उन्होंने इस बात को जोर देकर बताया कि तथाकथित शनि मूर्तियों पर तेल डालकर कदापि बर्बाद न करे. बल्कि शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए इसे निर्धन वृद्ध व्यक्ति को दान करे.

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